महावीर जयंती पर जानिए क्या थे महावीर के पांचप्रतिज्ञा के मार्ग

महावीर जयंती चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह पर्व जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर स्वामी महावीर के जन्म कल्याणक के उपलक्ष में मनाया जाता है। भगवान महावीर को वीर, वर्धमान, अतिवीर और सन्मति के नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में तप और साधना के नए प्रतिमान को स्थापित किया । उन्होंने  समुदाय के अनुयाईयों के लिए पांच सिद्धांत या पांचप्रतिज्ञा बताई है।


उनके द्वारा बताए गए पांच सिंद्धांत थे :
1.अहिंसा : सभी जीवजंतु की रक्षाकर किसी के साथ भी हिंसा नहीं करनी चाहिए।
2. सत्य : सदैव सत्य का मार्ग अपनाए चाहे परिस्थिति कोई भी हो।
3.अस्तेय : चोरी -चकारी जैसे कार्यों से बचकर रहें।
4. ब्रह्मचर्य : व्यभिचार न करें अर्थात अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखें।
5. अपरिग्रह : आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह न करें।
भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थे। इनका जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के वैशाली में कुण्डलपुर के लिच्छिवि वंश में हुआ था।उनके पिता महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला थी। बचपन में भगवान महावीर को "वर्धमान" नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इनके जन्म के पश्चात अत्यंत तेज़ी से विकास होने के कारण ही इनका नाम वर्धमान रखा गया था। जैन अनुयायियों का मानना है की महावीर ने 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद अपनी इन्द्रियों को वश में कर लिया था जिसके कारण उनका नाम जिन अर्थात विजेता भी पड़ गया था।